Zinda Nikla Main poem - poem

जिंदा निकला मैं / Zinda Nikla Main

https://yelamhen.blogspot.com/


 साजिशों के गठजोड़ से

आशिकों की होड से

जिंदा निकला मैं


कुछ यादें रही उसकी साथ मगर

रह गई जैसे कुछ बची कसर

साँस बची थी बस एक ,बरबाद हुए हम 

साँसों पर उसका नाम लिख कर 


आफतों के मोड़ से

हादसों की चोट से

जिंदा निकला मैं

जिंदा निकला मैं !

Post a Comment

5 Comments