Mera Ghar Tere Ghar Ke Paas Hota - poem

Mera Ghar Tere Ghar Ke Paas Hota /  मेरा घर तेरे घर के पास होता 

Mera Ghar Tere Ghar Ke Paas Hota


काश मेरा घर तेरे घर के पास होता

 दूर नहीं आस-पास होता 

और कुछ नहीं तो तुम्हारे पास होने का एहसास होता

 ये  एहसास भी खास होता

 तुम्हे  देखना भी मुझे रास होता

 काश मेरा घर तेरे घर के पास होता


जिन बातों में तेरी ज़िक्र ना हो, वह मुझे बकवास लगे 

लिखा हो जिस पर तेरा नाम, वो नीला आकाश लगे

 तुम्हें देखकर इतवार, जैसी अवकाश लगे 

इसीलिए तू सबसे खास लगे 

तुझसे दूर रहकर भी मिलने की आस होता

 काश मेरा घर तेरे घर के पास होता

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